अम्बुबाची मेला 2025 कब है ? क्यों मनाया जाता है ? क्या है माँ कामाख्या मंदिर का रहस्य ?
अम्बुबाची मेला 2025 कब है ? (When is Ambubachi Mela 2025?)
अम्बुबाची मेला असम राज्य के गुवाहाटी में स्थित माँ कामाख्या मंदिर का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। माँ कामाख्या शक्तिपीठ मंदिर में यह पर्व हर वर्ष जून के महीने में पांच दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व को अम्बुबाची मेला, अम्बुबाची त्यौहार, अम्बुबासी मेला इत्यादि नाम से भी जानते हैं। इस दौरान देश विदेश से लाखों श्रद्धालु मंदिर में आते हैं और माँ कामाख्या देवी के दर्शन करते हैं।
अम्बुबाची मेला कब मनाया जाता है ? (When Ambubachi Mela Celebrated?)
अम्बुबाची मेला हर वर्ष जून के महीने में २२ जून से माँ कामाख्या देवी मंदिर में मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर के दरवाजे तीन दिन के लिए बंद कर दिए जाते हैं और मंदिर में किसी का भी प्रवेश निषिद्ध होता है। फिर तीन दिन बाद मंदिर के दरवाजे खोले जातें हैं और फिर सभी भक्त माँ कामाख्या देवी के दर्शन करते हैं।
अम्बुबाची मेला 2025 जानकारी (Ambubachi Mela 2025 Date and Timings)
अम्बुबाची मेला प्रारम्भ – | 22 जून 2025, दिन- रविवार |
मंदिर बंद करने की तिथि – | 22 जून 2025, दिन- रविवार |
मंदिर खोलने की तिथि – | 26 जून 2025, दिन- गुरुवार |
दर्शन करने और प्रसाद वितरण की तिथि – | 26 जून 2025, दिन- गुरुवार |
क्यों मनाया जाता है अम्बुबाची मेला ? (Why Ambubachi Mela Celebrated?)
इस मेले को मनाने के पीछे एक खास धार्मिक धारणा है। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि माता सती की योनि इस स्थान पर गिरी थी और वही अंग इस मंदिर के गर्भ गृह में स्थित है। और ऐसी मान्यता है की इस दौरान माता रजस्वला होती हैं और उस पत्थर की शिला पर सफेद वस्त्र बिछाकर मंदिर को बंद कर दिया जाता है और जब मंदिर खोला जाता है तो वह सफेद वस्त्र माता के रज से लाल हो जाता है।
और इसी तीन या चार दिनों को स्थानीय लोग अम्बुबाची पर्व के नाम से मनाते हैं, इस दौरान मंदिर परिसर में भक्त और तांत्रिक विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इस मंदिर के बारे में बहुत सारे रहस्य भी पढ़ने को मिलते हैं।
माँ कामाख्या और माँ कामाख्या मंदिर के बारे में (About Maa Kamakhya and Kamakhya Devi Temple)
माँ कामाख्या शक्ति पीठ को ही माँ कामाख्या मंदिर के नाम से जाना जाता है। जैसा की हम सभी को पता है की जब माता सती के मृत शरीर को लेकर भगवान शंकर पूरे ब्रह्माण्ड में भ्रमण कर रहे थे तो ब्रह्मा जी ने सती के शरीर को काट दिया था और उनके शरीर के टुकड़े जहां जहां गिरे उस जगह पर एक शक्ति पीठ बना और गुवाहाटी के कामरूप जिले में नीलांचल पर्वत पर माता सती की योनि गिरी जिसकी वजह से कामाख्या शक्ति पीठ का निर्माण हुआ। और इस स्थान पर माता कामाख्या मंदिर बना। इस मंदिर के गर्भ गृह में माता सती का अंग एक शिला के रूप में विराजमान है।
कामाख्या मंदिर में पूजा का समय (Kamakhya Temple Puja Timings)
माँ कामाख्या मंदिर में पूजा और दर्शन का समय निर्धारित है और इस प्रकार है:
कामाख्या मंदिर में पूजा का समय-
शिला स्नान – | सुबह 5:30 बजे |
नित्य पूजा – | सुबह 6 बजे |
भक्तो के दर्शन का समय – | सुबह 8 बजे |
मंदिर बंद करने का समय – | दोपहर 1 बजे |
भक्तो के दर्शन का समय – | दोपहर 2:30 से |
मंदिर बंद करने का समय – | शाम 5:15 से |
आरती का समय – | शाम 7:30 को |
माँ कामाख्या का प्रसाद (Maa Kamakhya Prasad)
अम्बुबाची मेला के दौरान आये हुए श्रद्धालुओं को एक विशेष वस्त्र प्रसाद के रूप में दिया जाता है जिसके कामाख्या वस्त्र कहते हैं। ऐसी मान्यता है की यह वस्त्र बहुत ही लाभकारी होता है और माँ कामाख्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ कामाख्या मंदिर कैसे पहुंचे ? (How to Reach Kamakhya Temple?)
माँ कामाख्या मंदिर आप अपने वाहन से या रेल के माध्यम से या फिर हवाई जहाज के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं। आप कोई भी टूर पैकेज भी बुक करके माँ कामाख्या और इसके आसपास के मंदिरो का दर्शन कर सकते हैं।
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